User:Abhai/Gurbani Hindi

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ऐक ओ अंकार^^^^^^^ सच्चे नाम, 'कर्मी पुरष निर्भय निरवैर अमर मूर्ती ऐक स्वरूपी खुद सी बनी', के धारणकर्ता!.... गुरबाणी की कृपा से लिख और स्वास स्वास......

जप

जन्मा सच्चा, अब तक रहा सच्चा, है भी सच्चा ओ नानक! तू रहेगा भी सदा सच्चा ही