Intuitive Writing

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सिक्ख

'१ अँकार'''''\ गुरुसिक्ख नानक सिंह साहिब खालसा जी' नें 'गुरसिक्ख अंगद बनाम लहिणा जी' को फरीदी कलम'''''\ यों संबोधन करि बक्शी :--

इक्क ओ''''' अँकार'''''\ बाणीकर्ता: पुरुषार्थी संत-सिपाही सच्ची मूर्ति नित्यनियमी स्वयं बनी बाणी कृपा !!

लिख'''''\ सतिनामु : जपु जी साहिब सिंह खालसा !!

रिक्रूट

01. चलना 'माँधरा की कुदरत मैडम' के हुक्म की रजा में ||

02. समझना हुक्म स्वयं चल के ||

03. खोजना सच्चे इंसान बेपरवाह रह के ||

04. मांगना ४ पदार्थ > ब्रह्म महूरत में सफलता और सफलता के पंथ पर विचार-विमर्श

गुरमुख

05. प्रचरना गुरबाणी

06. तराशना 80 गुण

07. बांटना 80 गुण

गुरसिक्खड़ा

08. सुनना (आसा दी वार) योगीओं की

09. सुनना (सो दरु) हिंदुओं की

10. सुनना (सो पुरखु) सिखों की

11. सुनना (सो हिला) सरकार की

गुरसिक्ख

12. मानना १को

13. मानना १सतिनामु को

14. मानना १सतिगुरु को

15. मानना १सतिबाणी को

दयालु खालसा

16. जोड़ना सब को

17. लिखना'''''\ सरकारी संस्कार

18. लिखना'''''\ संसारी संस्कार

19. लिखना''''''\ गुरकार

संत

20. सुधारना लिखा

21. शेयरना सुधारा

22. उलझना नहीं मूर्खों संग

23. लेना नहीं रिश्वत

कर्मी:

24. संभालना सब को

25. करना विचार-विमर्श

26. लिखना माप-दण्ड

27. लिखना लेखा-जोखा खाए, खोए कमाए समय का

सिपाही: देना/लेना हुक्म

28. जुगड़ना सन-साधन

29. आंकना समय की स्करात्मकता

30. स्वीकारना व संभालना जिमेंवारियाँ

31. परखना गुणवत्ता

रक्षक

32. चढ़ना एक एक सीढ़ी

33. गर्जना लिखा सच

34. दिखना सदा हाजिर नाजिर

35. समझना ज्ञान परजीवी

36. बनना कर्मी करजीवी

37. सोचना सिर्फ सच

38. प्रकाशना लिखा'''''\

सारांश

गुरु: समाजिक हवा/महौल

पिता: पानी सा पालनकर्ता निर्मल बहता पैन'''''\

माता: अन्नपूर्णा माँधरा महान

सेवक: २४ | सुलाऊ-8, कमाऊ-8, खपाऊ-4, सोना-कमाना-खपाना सिखाऊ-4

घर: बिगबौस का खेल अपना अपना, कोई किसी का सगा/बेगाना नहीं | जिन्होंने इंसानियत की भाषा गुरबाणी के शब्दकोश और व्याकरण का अध्ययन कीआ और मेहनत करते हुए गए, वो अकेले नहीं गए, कितने ही और समाज उनके साथ संसार सागर से पार उतरे ||